The Undercover Economist by- Tim Harford

आपमें से कितने लोग हर रोज बैठे होगे,और सोचे हैं। इस बारे में सरकार को कोसते रहते है की कैसे आपके खरीदारी बिल अधिक मंहगे जा रहे हैं? इस सब को समझने के लिए सबसे पहले ' इकोनॉमिक्स ' जानने होगे।




‘ इकोनॉमिक्स ’ शब्द सुनते हैं तो आपके दिमाग में क्या आता है ? आप तुरंत ऐसा सोचते हैं की ये अंतहीन ग्राफ़ या जटिल गणित और ये बोरिंग होता होगा। आपको इसके बारे में थोड़े बहुत सिर्फ इसलिए पता है क्योंकि आपको इसे बारे में थोड़े बहुत क्लास 9-10 सीखने के लिए मजबूर किया गया था । पर इकोनॉमिक्स की फील्ड बहुत बड़ी है और ज़रूरी नहीं कि ये कन्फ्यूज़िंग या बोरिंग हो। इकोनॉमिक्स भी इंटरेस्टिंग हो सकती है। टिम हार्फोर्ड द्वारा लिखित अंडरकवर economicsts उन सवालों के जवाब देने के लिए निकल पड़ते हैं, और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह हमें यह समझने की कोशिश करता है कि इकोनॉमिक्स हमारे जीवन और हमारे खरीद निर्णयों को कैसे आकार देता है। यह भी बताता है कि कैसे, हर चीज के पीछे के economics को समझकर, आप अपने दिन-प्रतिदिन में बेहतर खरीदारी निर्णय लेना शुरू कर सकते हैं, और दुनिया आर्थिक सिद्धांतों पर काम करती है। एक economist की तरह सोचकर, आप सीखेंगे कि हर दिन बेहतर निर्णय कैसे लें। यह पुस्तक आपको यह समझने में मदद करेगी कि आप अपने द्वारा किए जाने वाले आर्थिक निर्णय क्यों लेते हैं और चर्चा करते हैं कि क्या होता है कैसे कुछ आर्थिक सिद्धांत जो कुशलता से दुनिया के अधिकांश हिस्सों को नियंत्रित करते हैं:लोग क्या खरीदते हैं, ये economists के लिए एक जानकारी होती है। लेन – देन यानी transaction, खरीदने वाले यानी buyer और बेचने वाले यानी seller के बीच का सिग्नल होते हैं । लोग कितने पैसे काम सकते हैं ये उस पर भी असर डालते हैं । ये तय करते हैं की कितने प्रोडक्टस और बनाए जाएंगे । Economists इन activities को चलाने वाले सिस्टम को इकॉनमी कहते हैं । इसमें लोग , बिज़नस और बड़े बड़े organization आते हैं । 

इस अंडरकवर इकोनॉमिस्ट्स बुक की summarry में आप सीखेंगे की रोज़मर्रा के लेन – देन में आप कैसे एक इकोनॉमिस्ट की तरह सोच सकते हैं – example- के लिए कॉफी या सब्जियां खरीदते वक्त । आप सीखेंगे की वो कौन सी चीज़ है जो लोगों को कोई समान खरीदने या ना खरीदने का फैसला करने में मदद करती है । लोगों के खरीदने और ना खरीदने का फैसला किसी भी बिज़नस पर बहुत असर डालते हैं । बिज़नस अपने बड़े बड़े फैसला कस्टमर के behaviour को देखकर ही लेते हैं । ये आपको समझने में मदद करेगा की लोगों को क्या , कैसे और क्यों मिलता है ।

साथ ही, ये बुक summarry आपको बताएगा कि कैसे संपूर्ण समाजों को उनकी अर्थव्यवस्थाओं द्वारा परिभाषित किया जा सकता है। यदि आप कभी यह जानना चाहते हैं कि कुछ देश गरीब क्यों हैं जबकि अन्य अत्यधिक धनी हैं,।


 # 1: आपके द्वारा प्रतिदिन किए जाने वाले सरल विकल्पों पर अर्थव्यवस्था का बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है।


अपनी सुबह की चाय की चुस्की लेते हुए, क्या आप कभी यह सोचा करते हैं कि वह चाय यहाँ कैसे पहुँचा? शायद ऩही। फिर भी, शायद आपको ऐसा करना चाहिए, क्योंकि यह हमारी अर्थव्यवस्था और इस प्रकार हमारे जीवन के बारे में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि को प्रकट करता है।


यहां तक ​​​​कि एक चाय कई व्यवसायों को एक साथ लाने की अर्थव्यवस्था की क्षमता का परिणाम है।


कल्पना कीजिए कि आप उस चाय को अपने आप बनाने की कोशिश कर रहे हैं। आप भी कहाँ से शुरू करेंगे? आपको सबसे पहले चाय पत्ती को उगाना, काटना, सुखाना और उन्हें मिलाना होगा। आपको एक गाय को पालना, उसका दूध इकट्ठा करना और फिर मिट्टी से अपने चाय मग को बनाना होगा। अंत में, आपको एक चाय बनने वाली मशीन बनानी होगी।


क्या आप इस सब से खुद निपट सकते हैं? संभावना नहीं। आप अपने पसंदीदा सुबह के पेय का उत्पादन करने के लिए एक संपूर्ण आर्थिक प्रणाली, विशेष रूप से दुनिया भर में श्रम विभाजन पर भरोसा करते हैं।


हो सकता है कि आप इसके बजाय अपनी सुबह की चाय खरीदने का फैसला करें। यहां तक ​​कि आप जो कीमत चुकाते हैं, वह पूरी आर्थिक व्यवस्था से जुड़ी होती है।


आम तौर पर, संसाधन जितना अधिक दुर्लभ होता है, उतना ही अधिक खर्च होता है, लेकिन यह हमेशा सच नहीं होता है। उदाहरण के लिए, आप सोच सकते हैं कि यदि प्रत्येक चाय शॉप एक ही संसाधन का उपयोग करती है, तो प्रत्येक कप चाय की कीमत समान होगी। लेकिन वे नहीं हैं।


हमारे देश में, MBA चायवाला को आपलोग जानते होंगे। चायवाला की एक श्रृंखला की कीमत अपने प्रतिस्पर्धियों की तुलना में कहीं अधिक है। क्या इसलिए कि वे एक दुर्लभ प्रकार की चाय बेचते हैं? नहीं, MBAचायवाला अधिक कीमत वसूल सकते हैं क्योंकि वे हमेशा अच्छे स्थान पर अपनी शॉप खोलते है, जहां बहुत से लोग गुजरते हैं,यानी उनका किराया भी ज्यादा है, वह अच्छे और professional वर्कर रखते है।और एमबीए चायवाला एक शहर में सिर्फ एक शॉप खोलते है,जब कोई रिसोर्स कम होता है तो इसका मतलब है की वो ज़्यादा quantity में या आसानी से नहीं मिलता है किसी चीज़ की कमी ये तय करती है की उसकी कीमत क्या होगी । बदले में कीमत, खरीदने वाले और बेचने वाले के लेन – देन पर असर डालते हैं। 

बहुत से लोग सुबह की यात्रा के दौरान गुजरते हैं, और परिणामस्वरूप एमबीए चायवाला की जगह की अत्यधिक मांग होती है। चाय की यह मांग कीमत को बढ़ा देती है।

इस प्रकार यह ग्राहकों के लिए सुविधा और उच्च किराए का कारण है जो एमबीए चायवाला की चाय को और अधिक महंगा बना देता है।

यह इस प्रकार की सोच है जो आपको एक इकोनॉमिस्ट की तरह सोचने की अनुमति देती है, और इस प्रकार अपने आसपास की दुनिया को बेहतर ढंग से समझती है।

कंपनियां हमें अपने उत्पादों के लिए उच्चतम संभव कीमत का भुगतान करने के लिए कई तरह की रणनीतियों का उपयोग करती हैं।

कंपनियों के एक लक्ष्य, चाहे वे कितने भी अच्छे क्यों न हों, आप तक, ग्राहकों तक पहुंचना है, ताकि आप उनके उत्पाद के लिए अधिक से अधिक संभव कीमत का भुगतान करने को तैयार हों, और वे बहुत सारे पैसे का उपयोग करें। ऐसा करने के लिए कई अलग-अलग रणनीतियाँ पे काम करते है।

Conclusion:-


पहले आपने चीज़ों की कमी यानी scarcity के बारे में सीखा । Scarcity किसी प्रोडक्ट जैसे की किसी ज़मीन की वैल्यू पर कैसे असर डालते हैं। ये उसके प्राइस को तय करता है । जब कोई रिसोर्स कम होता है तो वो owner को bargaining Power देता है। 

दूसरा आपने 3 प्राइसिंग strategies के बारे में सीखा । Individual target strategy का मतलब है प्राइस हर इंसान को देख कर बदल सकता है । ग्रुप टारगेट strategies भी मिलती जुलती होती हैं। जैसे की सीनियर citizens को डिस्काउंट देना । 

लास्ट है सेल्फ इंक्रिमिनेशन स्ट्रेटजी । इसका मतलब है मिलते जुलते प्रोडक्ट्स को अलग अलग प्राइस पर बेचना । इससे सेलर को पता चलता है की बायर एक प्रोडक्ट पर कितना खर्च करने को तैयार है ।



तीसरा है लॉ ऑफ डिमांड एंड सप्लाई प्रोडक्ट के प्राइस पर असर डालता है । लोगों की चॉइस ये बताती है की वो क्या खरीदेंगे । जब लोगों को किसी प्रोडक्ट की ज़रूरत होती है तो वो उसके लिए pay करने के लिए तैयार हो जाते हैं। ये सेलर को बढ़ावा देते हैं की वो ऐसे और प्रोडक्ट बनाएं । 

जब प्रोडक्ट जयादा quantity में सप्लाई किए जाते हैं , तो वो प्राइस को कम कर देता है । जब किसी प्रोडक्ट की सप्लाई कम होती है तो इसका मतलब है की उस प्रोडक्ट की मार्केट में कमी है । 



चौथा है एक फ्री मार्केट में प्राइस असलियत बता देती है। ये इस बात की जानकारी देती है की बायर किस पर खर्च करना पसंद करेंगे। इससे प्रोड्यूसर्स को पता चलता है की कौन सा प्रोडक्ट बनाना है और कितना बनाना है । ये बिजनेस के फैसलों पर भी असर डालता है। 

पांचवां आपने सीखा ट्रेड और ग्लोबलाइजेशन के बारे में । ट्रेड उन देशों को फायदा करा सकता है जो आपस में चीज़ें एक्सचेंज करते हैं । किसी एक देश के पास comparative advantage हो सकता है जो की दूसरे देशों के पास न हो। ट्रेड दोनों ही देशों को दोनों प्रोडक्ट इस्तेमाल करने की एबिलिटी देता है । इसका मतलब है की दोनों देश ही फायदे में हैं। 



ट्रेड दुनिया भर से प्रोडक्ट का एक्सचेंज के साथ और भी बहुत कुछ लाता है। इसे ही globalisation कहते हैं। Globalisation के अपने फायदे और नुकसान हैं। ये कई जॉब्स क्रिएट करते हैं और और देशों को आगे बढ़ने में मदद करते हैं। इससे नेचर पर बुरा असर भी पड़ता है। ये रिसोर्सेज को वेस्ट कर सकता है और ट्रांसपोर्ट कॉस्ट भी बढ़ा सकता है। 


पर इसका मतलब ये नहीं है की globalisation बुरा है । ग्लोबलाइजेशन नॉलेज को बढ़ाता है। नॉलेज से कई देश आगे बढ़ सकते हैं। गवर्नमेंट को थोड़ा आगे बढ़कर कदम उठाने होंगे ताकि वो इससे होने वाले नुकसानों को रोक सकें। Healthy इकोनॉमी बिजनेस के बीच healthycompetition को बढ़ावा देती हैं। 

मार्केट को समझना आपको एक बेहतर consumer बना सकता है ।


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