गणतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति: देशरत्न डॉ राजेन्द्र प्रसाद
बाबू राजेन्द्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर 1884 को बिहार के जीरादेई नाम के गांव जिला सारण 'अब सिवान ' मे हुआ था। उनके पिता का नाम महादेव सहाय तथा माताजी का नाम कालेश्वरी देवी था. राजेंद्र बाबू बचपन से ही पढाई लिखाई में अच्छे थे और उनहोंने मात्र 18 साल की उम्र में कोलकाता विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया थे. जिसके लिए उन्हें विश्वविद्यालय की से 30 रूपये की स्काॅलरशिप मिलती थी. उसके बाद राजेन्द्र प्रसाद ने कानून में मास्टर डिग्री हासिल किये और साथ ही उन्होंने क़ानून से ही डाक्टरेट भी किया.
राजेंद्र बाबू पढाई में इतनें अच्छे थे, कि उनकी एग्जाम शीट को देखकर एक एग्जामिनर ने कहा था 'The Examinee is better than Examiner'
राजेंद्र प्रसाद भारत के पहले राष्ट्रपति थे. वे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक थे. उन्होंनें भारतीय संविधान के निर्माण में भी अपना सहयोग दिया थे. पूरे देशभर में अत्यंत लोकप्रिय होने के कारण उन्हें राजेन्द्र बाबू या देशरत्न कहकर संबोधित किया जाता था। पेशे वकील राजेन्द्र प्रसाद आजादी की लड़ाई में कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में से थे, राजेंद्र प्रसाद देश के एकमात्र नेता रहें, जिन्होनें दो बार लगातार राष्ट्रपति पद संभाला।
राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने स्वतंत्र ढंग से काम करने के लिए कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिये थे जो कि बाद में परंपरा बन गई और आज भी इस परंपरा का निर्वाह किया जाता है
12 साल तक पद पर बने रहने के बाद वे 1962 में राष्ट्रपति पद से हटे और 1962 में ही राष्ट्रपति पद से हटे के बाद राजेन्द्र बाबू को भारत सरकार द्वारा सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सुशोभित किया गया।
राजेंद्र प्रसाद एक बहुत अच्छे लेखक भी थे उन्होंन 1946 में अपनी आत्मकथा के अलावा भी और कई पुस्तकें भी लिखीं हैं जिनमें इडिया डिवाइडेड 1946 में, सत्याग्रह ऐट चंपारण 1922 में, बापू के कदमों में 1954 में लिखे और भी कई रचनाएँ हैं
Comments
Post a Comment